Gambhir की प्रेस कांफ्रेंस में Hardik को लेकर उठा बवाल!




कभी कभी ज़िंदगी में ऐसा होता है कि चोट जिसे लगती है, उससे ज़्यादा दर्द उसके चाहने वालों को होता है। Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) से कप्तानी छिनी। ताज्जुब हुआ पर कहा ये गया कि शायद Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) की फिटनेस एक इशू हो सकती है। हम बात कर रहे हैं सोमवार की उस प्रेस कांफ्रेंस की जिसमें नये कोच Gautam Gambhir (गौतम गंभीर) और चीफ सिलेक्टर Ajit Agarkar (अजीत आगरकर) मीडिया के सामने थे। Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) का हाल फ़िलहाल का रिकॉर्ड गिनवाया गया। Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) ने odi और T20 के मैच खेले कम हैं और छोड़े ज़्यादा हैं। पिछले 19 महीनों में इंडिया ने 79 ODI मैच खेले जिसमें Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) सिर्फ़ 46 मैच खेल पाये। T20 में इंडिया ने 59 मैच खेले जिसमें Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) 23 मैचों में ही नज़र आये। ये आँकड़े दिखा के आप Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) को बाहर रखने को सही तो बता सकते हो। पर इसका क्या करें जो Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) ने हाल के वर्ल्ड कप (World Cup) में किया। 48 के औसत से 144 रन बनाये। स्ट्राइक रेट था 151 से जायदा का। और गेंद से Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) ने 11 विकेट लिये, औसत था 17 का और इकॉनमी भी 7 रन हर ओवर की थी जो शानदार है। उनका वो आख़िरी ओवर अभी तक सबको याद है। David Miller (डेविड मिलर) का वो विकेट भी सबको याद है। लेकिन कम लोगों को याद होगा कि उसी ओवर में उन्होंने Kagiso Rabada (कागिसो रबाडा) को भी आउट किया था जो उनकी गेंद पर एक चौका मार चुके थे। और Heinrich Klaasen (हेनरिक क्लासेन) का विकेट। मैच साउथ अफ़्रीका (South Africa) की झोली में था जब Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) ने Heinrich Klaasen (हेनरिक क्लासेन) को आउट किया था। अगर उस 29 जून को पोल लिया जाता तो Jasprit Bumrah (जसप्रीत बुमराह), Virat Kohli (विराट कोहली) या Rohit Sharma (रोहित शर्मा) से कम वोट Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) को नहीं मिलते। 29 जून को जब इंडिया ने T20 का वर्ल्ड कप (World Cup) जीता, Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) सबकी आँख के तारे थे। पर अब जब Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) फिट हैं तो आप उनका पुराना बहिखता उन्हें दिखा रहे हो। यहीं नहीं, चैम्पियंस ट्रॉफी जो फ़रवरी में होनी है, उसमें भी Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) को अपनी फिटनेस का प्रमाण देना होगा। और उसके लिए उन्हें घरेलू विजय हज़ारे ट्रॉफी में हर मैच ही नहीं खेलना पड़ेगा, उन्हें प्रदर्शन भी अच्छा करना पड़ेगा। यानी Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) ना हुए, एक नया बच्चा हुआ जिसे अपनी योग्यता सिद्ध करनी पड़ेगी। सोमवार को जो प्रेस कांफ्रेंस हुई, उसमें चीफ सिलेक्टर Ajit Agarkar (अजीत आगरकर) ने कहा कि कप्तान वो हो जो ज़्यादातर मैदान पर नज़र आये। उन्होंने ये भी कहा कि जो उन्हें फीडबैक खिलाड़ियों से मिला है, उसको देख कर हमने Suryakumar Yadav (सूर्यकुमार यादव) को ही कप्तान बनाना ठीक समझा। ये बात हज़म नहीं होती। कहाँ तो आप Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) से ODI और T20  के मैचों में कप्तानी करवा रहे थे। सच्चाई ये है कि अगर Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) चोटिल नहीं होते, तो Rohit Sharma (रोहित शर्मा) T20 के कप्तान ना बनते। यानी वाइट बॉल क्रिकेट के सरताज थे Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या)। Mumbai Indians (मुंबई इंडियंस) ने भी यही सोच के उन्हें बुलाया था। पर जब दुनिया उनके कदमों पर है, तब आपको उनमें काँटे नज़र आ रहे हैं। Ajit Agarkar (अजीत आगरकर) ने ये भी कहा कि एक गेंदबाज़ और बल्लेबाज़ और बेहतरीन फ़ील्डर के रूप में Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) पर बहुत ज़िम्मेदारियाँ हैं। उन्हें और क्या दबाव में डालना। पर अभी तक जब Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) कप्तान थे, तो ये सब क्यों नज़र नहीं आया। Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) तो आईपीएल (IPL) में भी कप्तान हैं। Suryakumar Yadav (सूर्यकुमार यादव)  की अभी वो स्टेज नहीं है।  Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) के सामने अब दो रास्ते हैं। या तो वो अपनी ईगो को हावी होने दें और वही करें जो Ishan Kishan (ईशान किशन) ने किया था। यानी मुँह फुला के बैठ जायें। या वो रगड़ के मेहनत करें और अपनी फिटनेस प्रूव करें। दोनों हालत में Hardik Pandya (हार्दिक पांड्या) को या तो ईगो के रहते या फिटनेस के रहते टीम इंडिया खो सकती है।